भारत में व्रत केवल धार्मिक रस्म नहीं है, बल्कि यह मन को अनुशासित करने, शरीर को हल्का करने और आदतों को नियंत्रित करने का एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तरीका है। व्रत के दौरान व्यक्ति अपने अंदर की अव्यवस्था, इच्छाओं, लालसाओं और नकारात्मक आदतों पर नियंत्रण पाने की कोशिश करता है। लेकिन आधुनिक जीवनशैली में व्रत के नियमों को लेकर सबसे बड़ा भ्रम यह है कि — आख़िर व्रत में क्या खाया जा सकता है और क्या नहीं? और खासकर उन चीज़ों को लेकर जिनका लोग रोज़ाना सेवन कर लेते हैं — जैसे आइसक्रीम, तम्बाकू, सिगरेट, सुपारी, गुटखा और टमाटर। कई लोग मान लेते हैं कि व्रत में बस अनाज छोड़ देना काफी है, जबकि सच्चाई इससे कहीं गहरी है। व्रत का उद्देश्य केवल पेट को खाली रखना नहीं, बल्कि मन और आदतों को शुद्ध करना है। इसलिए यह समझना बेहद ज़रूरी है कि कौन-सी चीज़ें व्रत को मजबूत बनाती हैं और कौन-सी उसे तुरंत समाप्त कर देती हैं।
व्रत का असली उद्देश्य — मन, शरीर और ऊर्जा को एक दिशा में लाना
व्रत तीन गहरे सिद्धांतों पर आधारित है:
१. सात्त्विकता (शुद्ध ऊर्जा)
ऐसा भोजन और व्यवहार जो मन को शांत, स्पष्ट और नियंत्रित रखे।
२. शुद्धता (Purity)
ऐसी किसी भी चीज़ से दूरी जो शरीर को ज़हरीला या मन को अस्थिर करे — जैसे नशा, रसायन, उत्तेजक पदार्थ आदि।
३. इन्द्रिय-संयम (Self-control)
व्रत का अर्थ आदतों पर विजय पाना है — चाहे वह भूख की आदत हो, स्वाद की, या नशे की।
नशा व्रत का सबसे बड़ा विरोधी है क्योंकि यह मन पर नियंत्रण छीन लेता है।
इन सिद्धांतों के आधार पर अब हम हर चीज़ का विश्लेषण करते हैं।
क्या व्रत में आइसक्रीम खा सकते हैं?
स्पष्ट उत्तर: नहीं। आइसक्रीम व्रत में पूरी तरह वर्जित है।
आइसक्रीम देखने में भले हल्की लगे, लेकिन यह व्रत के सिद्धांतों के बिल्कुल विरोध में है।
क्यों वर्जित है?
- इसमें कृत्रिम फ़्लेवर, रंग और प्रिज़रवेटिव होते हैं।
- इसकी क्रीम पाचन को भारी और सुस्त बनाती है।
- यह सात्त्विक नहीं, बल्कि तामसिक प्रभाव देती है।
- व्रत का नियम “हल्का भोजन” है, जबकि आइसक्रीम शरीर को भारी बनाती है।
आइसक्रीम व्रत के दौरान पाचन शक्ति को कम करती है और ऊर्जा को असंतुलित करती है।
क्या व्रत में तम्बाकू खा सकते हैं?
उत्तर: बिल्कुल नहीं — यह व्रत की शुद्धता को उसी क्षण खत्म कर देता है।
तम्बाकू में निकोटिन नामक ज़हरीला तत्व होता है जो मन को अस्थिर और शरीर को अशुद्ध करता है।
गहरे कारण:
- तम्बाकू मानसिक उत्तेजना बढ़ाता है।
- व्रत के दौरान मन को शांत रखना आवश्यक है, तम्बाकू इसका उल्टा करता है।
- निकोटिन इन्द्रियों पर नियंत्रण खत्म करता है।
- तम्बाकू का सेवन व्रत को आध्यात्मिक रूप से अमान्य कर देता है।
व्रत में तम्बाकू लेना न केवल गलत है, बल्कि स्वयं व्रत के उद्देश्य का विरोध है।
क्या व्रत में गुटखा खा सकते हैं?
उत्तर: 0% अनुमति — यह व्रत की पूरी पवित्रता नष्ट कर देता है।
गुटखा तम्बाकू से भी ज़्यादा खतरनाक है।
क्यों?
- गुटखा में तम्बाकू + चूना + केमिकल + सुगंधित रसायन होते हैं।
- यह शरीर को तुरंत दूषित करता है।
- मन में उत्तेजना, बेचैनी और अशांति पैदा करता है।
- आध्यात्मिक दृष्टि से व्रत के लिए सबसे अशुद्ध पदार्थों में से एक है।
व्रत में गुटखा लेना व्रत की आत्मा को मारने जैसा है।
क्या व्रत में सिगरेट पी सकते हैं?
उत्तर: बिल्कुल नहीं — यह व्रत का सबसे बड़ा दोष माना जाता है।
कारण एक-एक करके समझें:
- सिगरेट में टार, निकोटिन और कई विषैली गैसें होती हैं।
- धूम्रपान (smoking) शरीर ही नहीं, ऊर्जा क्षेत्र (energy field) को भी दूषित करता है।
- यह प्राणवायु को बाधित करता है — जबकि व्रत में श्वास शांत होनी चाहिए।
- सभी धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं में व्रत के समय सिगरेट सख़्ती से वर्जित है।
सिगरेट व्रत के उद्देश्य और उसकी आध्यात्मिक शक्ति दोनों को समाप्त कर देती है।
क्या व्रत में सुपारी खा सकते हैं?
उत्तर: अधिकांश परंपराओं में सुपारी वर्जित है।
क्यों?
- सुपारी उत्तेजक होती है।
- यह रजोगुण बढ़ाती है, जबकि व्रत सात्त्विक भोजन पर चलता है।
- सुपारी मन को एकाग्र नहीं रहने देती।
- सुपारी परंपरा अनुसार व्रत योग्य भोजन नहीं है।
सुपारी व्रत के शांत मानसिक वातावरण को तोड़ देती है।
क्या व्रत में टमाटर खा सकते हैं?
उत्तर: यह आपकी परंपरा पर निर्भर करता है।
जहाँ टमाटर मान्य है:
- कई उत्तर भारत, गुजरात और राजस्थान में
- टमाटर को फल माना जाता है
- यह हल्का, रसदार और पचने में आसान है
जहाँ टमाटर वर्जित है:
- वैष्णव परंपराएँ
- कठोर एकादशी
- नवरात्रि के गहन व्रत
- सोम और शनि व्रत
कारण:
टमाटर रजोगुण बढ़ाता है और इसे कई जगह फल नहीं माना जाता।
अंतिम सलाह:
अपने घर की परंपरा का पालन करें, वही सर्वोत्तम है।
व्रत में किन चीज़ों से 100% दूरी रखनी चाहिए?
- तम्बाकू
- गुटखा
- सिगरेट
- सुपारी
- शराब
- आइसक्रीम
- कोल्ड ड्रिंक
- जंक फूड
- मैदा
- अत्यधिक मसाले
- कृत्रिम मिठाइयाँ
- बहुत तली चीज़ें
ये सभी व्रत की पवित्रता और उसके आध्यात्मिक लाभ को नष्ट कर देती हैं।
व्रत में क्या खाना सबसे उत्तम माना गया है?
- ताजे फल
- मेवे
- दूध
- दही
- नारियल पानी
- शहद
- साबूदाना
- कुट्टू या सिंहाड़े का आटा
- सेंधा नमक
- हल्की उबली व्रत-संगत सब्ज़ियाँ
ये भोजन ऊर्जा बढ़ाते हैं, मन को शांत रखते हैं और व्रत को सफल बनाते हैं।
अंतिम निष्कर्ष — छोटा लेकिन पूरा सार
- आइसक्रीम = वर्जित
- तम्बाकू = व्रत समाप्त
- गुटखा = 0% अनुमति
- सिगरेट = सबसे बड़ा दोष
- सुपारी = वर्जित
- टमाटर = परंपरा के अनुसार
FAQ – व्रत से जुड़े सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या व्रत में ठंडी चीज़ें खा सकते हैं?
ठंडी चीज़ें जैसे आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक या पैकेटेड जूस व्रत में बिल्कुल नहीं खाने चाहिए। ये असात्त्विक और रासायनिक तत्वों से भरे होते हैं।
2. तम्बाकू खाने से व्रत टूट जाता है क्या?
हाँ, तम्बाकू व्रत को आध्यात्मिक रूप से तुरंत तोड़ देता है। यह शुद्धता को भंग करता है।
3. अगर रोज़ सिगरेट पीते हैं, तो व्रत में छोड़ना ज़रूरी है?
हाँ, व्रत में किसी भी तरह का नशा पूरी तरह वर्जित है। इसे न लेना ही व्रत का असली पालन है।
4. क्या व्रत में पान खा सकते हैं?
अगर पान में सुपारी, तम्बाकू या चूना है — तो बिल्कुल नहीं। सादा पान भी कई परंपराओं में वर्जित माना जाता है।
5. क्या व्रत में टमाटर का उपयोग सब्ज़ी में कर सकते हैं?
यह पूरी तरह आपकी पारिवारिक परंपरा पर निर्भर करता है। कई परिवार टमाटर लेते हैं, कई नहीं।
6. क्या चाय-कॉफी व्रत में ले सकते हैं?
कई परंपराओं में मान्य है, कई में नहीं। हालांकि यह उत्तेजक है, इसलिए सीमित मात्रा में ही लें।
7. क्या व्रत के दौरान नशा करने का पुण्य पर असर पड़ता है?
सीधा असर पड़ता है। नशा व्रत के सभी आध्यात्मिक लाभों को लगभग समाप्त कर देता है।
Dharamveer Shukla
धरमवीर शुक्ला ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. किया है। वे भारतीय परंपराओं, त्योहारों, पुराणिक कथाओं और सांस्कृतिक अनुष्ठानों का आधुनिक संदर्भ में सरल और संतुलित विश्लेषण करते हैं। उनका लेखन तथ्यपूर्ण, शांत और साफ़ दृष्टिकोण वाला होता है।
धरमवीर शुक्ला ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. किया है। वे भारतीय परंपराओं, त्योहारों, पुराणिक कथाओं और सांस्कृतिक अनुष्ठानों का आधुनिक संदर्भ में सरल और संतुलित विश्लेषण करते हैं। उनका लेखन तथ्यपूर्ण, शांत और साफ़ दृष्टिकोण वाला होता है।